भारत को ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाला खिलाडी नरेश आज मज़दूरी करके चला रहा अपना घर!

0
396

दोस्तों टोकियो में हुए ओलंपिक में भारत के द्वारा अब तक के सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन के बाद देश में खेलों को लेकर उत्साह  काफी देखा जा रहा है। भारत का यह अब तक सबसे बेहतर प्रदर्शन है लेकिन इसके बावजूद हम चीन, अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों से पदक के मामले में बहुत पीछे है। इसके पीछे के कारणों को देखे तो बहुत से कारण सामने आते है। खेलों से जुड़ी एक ऐसे ही न्यूज है नरेश तुमदा की जिसने भारत को कभी ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप जीताया था। इस कप का फाइनल दुबई और भारत के बीच हुआ था लेकिन आज नरेश के हालत कुछ इस तरह के है की उसे ईंटें ढो कर गुजारा करना पड़ रहा है।

बता दे की खिलाडी नरेश तुमदा ने 2018 में खेले गए ब्लाइंड वर्ल्ड कप में अहम भूमिका निभाई थी। और भारत के खाते में जीत को ले कर आए थे। लेकिन लोकडाउन में उन्हे बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। गुजरात के नवसारी में रहने वाले नरेश को लोक डाउन में सब्जियां बेच कर गुजारा करना पड़ा और अब वह ईंटें ढोकर अपना पेट पाल रहें है। देश में खेल की प्रतिभाओं का यह हाल आप देख सकते है। खेल में उन्हे ढंग का पैसा ही नहीं मिलता। नरेश ने बहुत बार सरकार से सरकारी नौकरी की भी गुहार लगाई लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं।

नरेश ने मीडिया को बताया की जब हम वर्ल्ड कप जीत कर आए तब हमारा बहुत जोश के साथ स्वागत किया गया था लेकिन अब हालत कुछ इस तरह है की गुजारा करना भी मुश्किल है तीन बार मुख्यमंत्री से सरकारी नौकरी के लिए दरख्वास्त कर चुका हूँ ताकि अपने परिवार का पालन पोषण कर सकूँ लेकिन मेरी सुनने वाला कोई नहीं। वर्ल्ड कप जीतने के बाद नरेश को बहुत खुशी हुई थी उसे लगा की देश को गौरवान्वित करने के कारण उसे किसी तरह से सरकारी नौकरी तो मिल जाएगी और परिवार का गुजारा चल जाएगा लेकिन यहाँ तो हालात एक दम विपरीत है। नरेश को दो वक्त की रोटी के लिए ही भटकना पड़ रहा है सरकारी नौकरी तो बहुत दूर की बात है।

खेल से जुड़ी प्रतिभाएं तो बहुत है लेकिन जब तक उन्हे अपने भविष्य को लेकर आश्वाशन नहीं मिलता तब तक यह क्यों इस क्षेत्र में आएगी यह बात सरकार को सोचनी चाहिए। खिलाड़ियों को बहुत जल्दी जनता और सरकार दोनों ही भूल जाते है और खिलाड़ियों की हालत नरेश तुमदा की तरह हो कर रह जाती है। नरेश जैसे बहुत से खिलाड़ी है जिन्हे आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए भी दर बदर की ठोकरें कहानी पड़ रही है तब प्रेक्टिस और उनकी डाइट का तो सवाल ही नहीं उठता।